जननायक की निष्ठा


धर्मनिष्ठ और कर्म निष्ठ,
निष्ठा ही जिनकी पूंजी हो।

कटंक पथ पर चलते जाते,
बाधाओं से कहां वे घबराते।

ऐसे निष्ठावान मनुष्य,
सच्चे नायक हैं कहलाते।

मानवता जिनका धर्म सदा,
परसेवा जिनका कर्म सदा।

बनकर जनता के नायक,
आदर्श नया रच जाते हैं।

सत्य की ज्योति जलाएं जो,
करूणा जिनकी बस पूंजी हो।

बनकर सेवक वे जनता के,
इतिहास नया रच जाते हैं।

अहिंसा का पथ चुनते हैं जो,
सदाचार का जो करते पालन।

जग रोशन जिनकी निष्ठा से,
वे जननायक कहलाते हैं।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक

टिप्पणियाँ

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/05/2019 की बुलेटिन, " इसलिए पड़े हैं कम वोट - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय शिवम जी,मेरी रचना
      को ब्लाॅग बुलेटिन में सम्मिलित करने हेतु।

      हटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ६ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर। आदर्श जननायक ऐसे ही होते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. जग रोशन जिनकी निष्ठा से,
    वे जननायक कहलाते हैं।
    बहुत सुन्दर...
    निष्ठावान ही सच्चा जननायक है...

    जवाब देंहटाएं

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