सज गई अमराईंयां
आमवृक्ष ने पहन लिए,
मंजरियो के हार।
जैसे दूल्हे सज गए,
करके अपना श्रृंगार।
कोयल कुहुक-कुहुक कर,
छेड़ें शहनाईयों की तान।
धरती पर अमराईयों के,
तन गए हैं वितान।
छोटी-छोटी अमियों के,
आभूषण हैं पहने।
सुंदर लगते वृक्ष सलोने,
हरे-भरे चमकीले।
देख घनी अमराईयां,
निकल पड़ीं है टोली।
संगी-साथी, हमजोली,
सभी सखी-सहेली।
कच्ची-कच्ची अमियां,
मुंह में पानी आए।
कैसे-कैसे करें जतन,
कैसे अमियां पाएं।
साथ लिए हैं नमक-मिर्च की,
छोटी-छोटी पुड़िया।
छुप-छुप कर ताक रहें हैं,
कच्ची-कच्ची अमियां।
किसी युद्ध से कम नहीं,
कच्ची अमियों को पाना।
तोड़ -तोड़ कर, छुप-छुप कर ,
खाना और खिलाना।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
मंजरियो के हार।
जैसे दूल्हे सज गए,
करके अपना श्रृंगार।
कोयल कुहुक-कुहुक कर,
छेड़ें शहनाईयों की तान।
धरती पर अमराईयों के,
तन गए हैं वितान।
छोटी-छोटी अमियों के,
आभूषण हैं पहने।
सुंदर लगते वृक्ष सलोने,
हरे-भरे चमकीले।
देख घनी अमराईयां,
निकल पड़ीं है टोली।
संगी-साथी, हमजोली,
सभी सखी-सहेली।
कच्ची-कच्ची अमियां,
मुंह में पानी आए।
कैसे-कैसे करें जतन,
कैसे अमियां पाएं।
साथ लिए हैं नमक-मिर्च की,
छोटी-छोटी पुड़िया।
छुप-छुप कर ताक रहें हैं,
कच्ची-कच्ची अमियां।
किसी युद्ध से कम नहीं,
कच्ची अमियों को पाना।
तोड़ -तोड़ कर, छुप-छुप कर ,
खाना और खिलाना।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
वाह्ह बहुत ही बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-04-2019)"सज गई अमराईंयां" (चर्चा अंक-3312) को पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
- अनीता सैनी
सहृदय आभार अनीता जी
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏
हटाएंप्रिय अभिलाषा बहन, जितना सुंदर शीर्षक उतनी सुंदर रचना। सजी हुई अमराइयाँ मानो शब्दों में सजीव हो उठी हैं। सुकोमल शब्दों ने मन को छू लिया।
जवाब देंहटाएंआम वृक्ष ने पहन लिये
मंजरियों के हार
जैसे दुल्हे सज गए
करके अपना शृंगार।
बहुतखूब सखी और हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।🌷🌻🌷🌹🌷
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२२ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाह !बहुत सुन्दर दी जी
जवाब देंहटाएंसादर
आमवृक्ष ने पहन लिए,
जवाब देंहटाएंमंजरियो के हार।
जैसे दूल्हे सज गए,
करके अपना श्रृंगार।
वाह!!!
बहुत सुन्दर रचना...