मैं प्रकृति हूं, मैं शक्ति हूं

मेरे कुंतल काले घुंघराले,
गजरों से सुंदर शोभित हैं।
ये हाथ मेरे मेंहदी वाले,
आभूषणों से सुसज्जित हैं।
मैं कमलाक्षी हूं मृगनयनी,
अधरों पर मेरे स्मित है।
मैं सौंदर्य में उर्वशी-रंभा हूं,
मैं आदिशक्ति-जगदंबा हूं।
मैं जन्मदात्री हूं इस जग की
मैं पालनहारी इस जग की
 मैं प्रकृति हूं , मैं शक्ति हूं,
मैं माया और आसक्ति हूं।
मैं अखिल विश्व की शोभा हूं।
मैं संचालिका हूं सृष्टि की,
मैं संहारिका आसुरी शक्ति की।
मैं जीवनदायिनी गंगा हूं।
मैं वीणावादिनी प्रज्ञा हूं।
हूं ममता मैं,हां क्षमता मैं,
जीवों में हूं विषमता मैं।
मैं हूं वसुधा, मैं हूं धरिणी,
मैं संकट कलिमल हूं हारिणी।
मैं चुप हूं,मेरी संतान हो तुम,
मत समझो खुद को स्वामी तुम।
मेरे नयन केन्द्रित हैं तुम पर,
मत करो अति अत्याचारों की।
मैं भृकुटी यदि टेढ़ी कर लूं,
प्रकृति में ताड़व नर्तन होगा।
मेरा नेत्र तीसरा खुल जाए,
अखिल विश्व भष्मीभूत होगा।
मेरी शक्ति को कम न आंको,
मर्यादा अपनी तुम मत लांघो।
यह मेरी तुमको अंतिम चेतावनी,
नहीं तो जैसी करनी वैसी भरनी।

©अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक







टिप्पणियाँ

  1. वाह प्रिय अभिलाषा बहन | नारी के विभिन्न रूपों को शब्दों में सहेजती और नारीत्व की महिमा बढाती सुंदर और भावपूर्ण रचना | चित्र को बहुत ही नई दृष्टि से निहारा है आपने | इसके बहाने से उत्तम और सार्थक सृजन किया है | हार्दिक बधाई और शुभकामनायें | चैत्र नवरात्रों के अवसर पर मंगल कामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार प्रिय बहन रेणु
      आपकी प्रतिक्रिया स्वयं में संपूर्ण होती है,ऐसी
      स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया सदैव उत्साह वृद्धि करती है।
      आपके स्नेह के लिए सहृदय आभार,नवरा नवरा की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌷

      हटाएं
  2. वाह 👏 👏 👏 अप्रतिम. खूबसूरत सृजन

    जवाब देंहटाएं
  3. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (7 -04-2019) को " माता के नवरात्र " (चर्चा अंक-3298) पर भी होगी।

    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

    अनीता सैनी

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    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी,आपको नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

      हटाएं
  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ८ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार प्रिय श्वेता,नवरा नवरा की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

      हटाएं
  5. बहुत सुंदर, बेहतरीन रचना..... सखी

    जवाब देंहटाएं
  6. माँ शक्ति है, भक्ति है ... जीवन है मृत्यु है ... अनेक रूपों में है माँ ...
    नमन अदि शक्ति को ...
    सुन्दर रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  7. मत समझो खुद को स्वामी तुम।
    मेरे नयन केन्द्रित हैं तुम पर,
    मत करो अति अत्याचारों की।
    मैं भृकुटी यदि टेढ़ी कर लूं,
    प्रकृति में ताड़व नर्तन होगा।
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार सुधा जी, नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌷

      हटाएं
  8. मैं जन्मदात्री हूं इस जग की
    मैं पालनहारी इस जग की
    मैं प्रकृति हूं , मैं शक्ति हूं,
    मैं माया और आसक्ति हूं।
    बहुत खूब ......, बेहतरीन सृजनात्मकता अभिलाषा जी ।

    जवाब देंहटाएं

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