फकत् आंसू नहीं हूं मैं!!

किसी की याद हूं मैं,
तड़प हूं मैं किसी की।
किसी की फरियाद हूं मैं,
चमकूं बन आंखों का मोती,
हृदय की पीड़ा मुझमें सोती।
फकत् आंसू न मुझे समझो,
मानवता मुझमें समायी  होती।
भावों का हूं मैं बहता निर्झर।
पीड़ा का हूं मैं उफनता समंदर,
कभी खुशी बनकर हूं बहता।
कभी छलकता तोड़ तटबंध,
हूं मैं अश्रु ,आंसू और अश्क।
कभी बनता विरह का अक्श,
कभी खुशियों में बनूं शबनम।
कभी ग़म में करता आंखें नम,
कभी मिलन का बनूं साक्षी,
अवसरों का हूं मैं आकांक्षी।
सजूं आंखों में सबकी मैं,
बना नयनों का गहना मैं।
बड़े-बड़े काम कराता हूं,
इंसान की परख कराता हूं।
कभी पिघला देता हूं पत्थर,
कभी तूफान भी लाता हूं।
होता हूं मैं बड़ा मासूम,
ममता की मचाता हूं धूम
बच्चों की आंखों से छलकूं तो,
मां की दुनिया ही जाती घूम।
न हूं मैं किसी की मजबूरी,
न हूं मैं किसी की कमजोरी।
न बहाओ मुझे चोरी-चोरी,
न बनाओ मुझे अपनी लाचारी।
मैं इंसान की ताकत हूं,
करता दिलों पर हुकुमत हूं।
बनूं करुणा का बादल मैं,
खुदा की अनमोल नियामत हूं।


अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक




टिप्पणियाँ

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  2. जी नमस्ते

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-03-2019) को "दिल तो है मतवाला गिरगिट" (चर्चा अंक-3290) पर भी होगी।

    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है



    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी ,चर्चामंच में मेरी रचना को
      चयनित करने के लिए।

      हटाएं
  3. वाह बहुत सुन्दर¡
    आँसू पर बहुत ही सुन्दर उद्गार अप्रतिम सृजन सखी बखूबी एक एक भाव पिरोया है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी, स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए
      सादर

      हटाएं
  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी श्वेता मेरी रचना को हमकदम में स्थान देने के लिए

      हटाएं
  5. बनूं करुणा का बादल मैं,
    खुदा की अनमोल नियामत हूं।
    बहुत-बहुत सुन्दर लिखा है आपने । साधुवाद व शुभकामनाएं आदरणीय ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आँसुओं को बड़ी ही खूबसूरती से परिभाषित करती बहुत सुन्दर रचना ! बधाई अभिलाषा जी !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही भावपूर्ण सृजन प्रिय अभिलाष बहन ।आंसू का ये आत्म कथ्य बहुत ही मर्मस्पर्शी है। सचमुच आँसूं के पीछे अनगिन कहानियाँ होती हैं। शुभकामनाएं और बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार प्रिय बहन रेणु,
      आंसू की अनंतता को समझने के लिए।

      हटाएं
  8. फकत् आँसू नहीं हूँ मैं...
    बहुत हघ सुन्दर, सार्थक रचना

    जवाब देंहटाएं
  9. बच्चों की आंखों से छलकूं तो,
    मां की दुनिया ही जाती घूम।
    न हूं मैं किसी की मजबूरी,
    न हूं मैं किसी की कमजोरी।
    बहुत सुंदर वर्णन

    जवाब देंहटाएं

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