वसंत हो मेरे जीवन में
वसंत हो तुम मेरे जीवन में,
जीवन के हर पलछिन में।
कितने मौसम आएं-जाएं,
कितने दुख के बादल छाएं।
चाहे बेमौसम हों बरसातें,
चाहें घिर के आएं काली रातें।
परिवर्तन फिर भी आएगा,
पतझड़ बाकी न रह पाएगा।
तुम वसंत हो मेरे जीवन में,
जीवन के हर पलछिन में।
पहली सूर्य किरण मेरे मन की,
शीतलता मेरे जीवन की।
मदमाता अहसास तुम्हारा,
मखमली है स्पर्श तुम्हारा।
तुम हो साथ ,वसंत बनके,
मिट जाएंगे संकट जीवन के।
सुख के सुमन जरूर खिलेंगे,
सपनों के पल्लव विकसेंगे।
प्यार तुम्हारा शबनम जैसा
दुख की दाह मिटा ही देगा।
बहने लगेगी प्रेमरस धारा,
कलुष मिटेगा मन का सारा।
मन पंछी फिर से चहकेगा
खुशियों का गुलशन महकेगा।
सहृदय आभार आदरणीय 🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर भावो से सुसज्जित रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सहृदय आभार सखी,सादर
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार बहन
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जवाब देंहटाएंवसंत हो तुम मेरे जीवन में,
जीवन के हर पलछिन में।
बहुत खूब प्रिय अभिलाषा बहन | किसी व्यक्ति विशेष का जीवन में होना बसंत है जीवन का |जिसकी आहट से मन खिल जाए और खुशियों से मिल जाए वही तो जीवन का बसंत है | अत्यान्त्भाव्पूर्ण रचना जिसके लिए बधाई और हार्दिक शुभकामनायें |
स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से आभार
हटाएंप्रिय रेणु बहन।
सुख के सुमन जरूर खिलेंगे,
जवाब देंहटाएंसपनों के पल्लव विकसेंगे।
प्यार तुम्हारा शबनम जैसा
दुख की दाह मिटा ही देगा।
वाह समर्पित भावों वाली सुंदर प्रस्तुति ।
प्यार तुम्हारा शबनम जैसा
जवाब देंहटाएंदुख की दाह मिटा ही देगा।
बहने लगेगी प्रेमरस धारा,
कलुष मिटेगा मन का सारा।
वाह!!!!
बहुत ही भावपूर्ण... लाजवाब रचना।
सहृदय आभार प्रिय सखी सुधा
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