अंतस्थ लौ


दीप की लौ सम
झिलमिलाती
अंतस्थ लौ देती प्रेरणा।
जगाती साहस..
बनाती कर्मण्य..
तूफानों से लड़ती !
ये छोटी सी लौ..!
बनती जिजीविषा,
जगाती जिज्ञासा,
बलवती होती इच्छा,
लाती क्रांति,
होते परिवर्तन,
करके सर्वस्व समर्पण,
वीर-धीर-कर्मवीर,
बन उत्साही ,
सतत होते अग्रसर।
यह लौ है जगत का आधार,
सतत जगत चलायमान,
निरंतर दिपदिपाती,
इस नन्ही सी लौ से..!
देती संघर्ष की शक्ति,
जीवन को गति,
व्यक्ति को मति,
बनती स्वाभिमान,
आन -बान-शान,
जागता स्वावलंबन,
इस लौ का झिलमिलाना!
जीवन का प्रतीक,
जब तक जलती रहेगी,
अंतस्थ लौ !
मानवता खिलती रहेगी,
जिंदगी हंसती रहेगी,
भाव जगते रहेंगे,
सद्गुण जाग्रत रहेंगे।
देशभक्ति का भाव होगा,
इंसानियत का सम्मान होगा।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित

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