आए हैं ऋतुराज वसंत

आए हैं ऋतुराज वसंत,
वसुधा मुस्काई आ गए कंत।
ओढ़ी पीली चुनरिया उसने,
फूलों के पहने हैं गहने।
वृक्षों ने नवश्रृंगार किया है,
हरीतिमा को ओढ़ लिया है।
कोयल मीठे गीत सुनाए,
भंवरे गुन-गुन करते आए।
रंग-बिरंगी तितलियां उड़ती,
कोमल कलियां हैं खिलती।
बसंत में प्रकृति हुई बासंती,
बहती बयार हुई मधुमाती।
पीत वर्णी पुष्पों की शोभा,
देख-देख मन उठता लोभा।
खुशियां लेकर आया बसंत,
प्रकृति की शोभा हुई अनंत।
शब्द सुंदरता कैसे करें वर्णन,
अनुभूति का होता स्पंदन।
मां सरस्वती की होती पूजा,
उन के सम न कोई दूजा।
ज्ञानदीप वे मन में जलाएं,
अंधकार को दूर भगाएं।
असत्य और अज्ञान मिटाएं,
जीवन-ज्योति उज्ज्वल हो जाएं।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही ख़ूबसूरत रचना मैम, और लुभावना वर्णन ऋतुराज का... वाह

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  2. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/02/2019 की बुलेटिन, " बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर वर्णन ऋतुराज का सखी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर अभिलाषा जी ! वसंत का मनोरम स्वागत करता हुआ एक मधुर गीत !

    जवाब देंहटाएं

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