यादों के फूल
यादों के घने जंगल में,
भटकती मैं बन बावरी।
चुनती रहती हूं सदा,
तेरी यादों के फूल।
जिंदगी तो चल रही,
अपनी ही रफ्तार से।
वक्त भी रूकता नहीं
किसी के दुख से हार के।
बिखरता है, कुछ टूटता,
जो खो गया फिरे ढूंढ़ता।
बन बावरा ये मन मेरा,
छूट गया जो साथ तेरा।
अब मैं हूं ,वे यादें हैं,
कुछ टूटे दिल की फरियादें हैं।
न वे दिन हैं ,न वे रातें हैं,
अब बेमौसम बरसातें हैं।
जब वे दिन याद आते हैं,
आंखों से आंसू झर जाते हैं।
न हम रोते हैं,न हंसते हैं,
जीवन के दिन बड़े सस्ते हैं।
यादों में हर पल जिंदा हैं,
मौत भी इस पर शर्मिंदा हैं।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
भटकती मैं बन बावरी।
चुनती रहती हूं सदा,
तेरी यादों के फूल।
जिंदगी तो चल रही,
अपनी ही रफ्तार से।
वक्त भी रूकता नहीं
किसी के दुख से हार के।
बिखरता है, कुछ टूटता,
जो खो गया फिरे ढूंढ़ता।
बन बावरा ये मन मेरा,
छूट गया जो साथ तेरा।
अब मैं हूं ,वे यादें हैं,
कुछ टूटे दिल की फरियादें हैं।
न वे दिन हैं ,न वे रातें हैं,
अब बेमौसम बरसातें हैं।
जब वे दिन याद आते हैं,
आंखों से आंसू झर जाते हैं।
न हम रोते हैं,न हंसते हैं,
जीवन के दिन बड़े सस्ते हैं।
यादों में हर पल जिंदा हैं,
मौत भी इस पर शर्मिंदा हैं।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
जिंदगी तो चल रही,
जवाब देंहटाएंअपनी ही रफ्तार से।
वक्त भी रूकता नहीं
किसी के दुख से हार के।...बहुत सुन्दर सृजन आदरणीय
सादर
सहृदय आभार सखी
जवाब देंहटाएंछूट गया जो साथ तेरा।
जवाब देंहटाएंअब मैं हूं ,वे यादें हैं,
कुछ टूटे दिल की फरियादें हैं।
बहुत हृदयस्पर्शी लाजवाब प्रस्तुति...
सहृदय आभार सुधा जी
हटाएंबेहद हृदयस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
४ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सहृदय आभार सखी
हटाएंयादों में हर पल जिंदा हैं,
जवाब देंहटाएंमौत भी इस पर शर्मिंदा हैं।
बहुत सुंदर रचना ,सादर स्नेह सखी
सहृदय आभार कामिनी जी
हटाएंअत्यंत भावपूर्ण रचना ! हर शब्द मन की उदासी का साक्षी ! अनमोल होती हैं ऐसी यादें ! बहुत सुन्दर अभिलाषा जी !
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीया
हटाएंबन बावरा ये मन मेरा,
जवाब देंहटाएंछूट गया जो साथ तेरा।
अब मैं हूं ,वे यादें हैं,
कुछ टूटे दिल की फरियादें हैं।
जी बहुत सुंदर भाव,मार्मिक ही सही।
यादों में हर पल जिंदा हैं,
जवाब देंहटाएंमौत भी इस पर शर्मिंदा हैं।
.........बहुत सुंदर रचना
सहृदय आभार अनुज
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