जिंदगी से इतने नाराज़ क्यों हो?


जिंदगी से इतने नाराज़ क्यों हो!
छुपाए इतने राज क्यों हो!
कब सरक जाएगी हाथों से ये!
बैठे किसी के इंतजार में क्यों हो?

फितरतें इंसान की समझोगे कैसे,
जिंदगी को जिंदगी समझोगे कैसे?
साथ में हो सच्चा कोई हमराही,
तो अकेले जिंदगी में रहोगे कैसे?

तड़प अपनी दिल में न दबाना,
जख्म को न कभी नासूर बनाना,
हो अगर दर्द सहना मुश्किल, 
तुम कभी आवाज तो उठाना।

जिंदगी जिंदादिली से जीते हैं जो,
हंसते-हंसते गमों से लड़ते हैं जो,
लुत्फ जिंदगी का वो पूरा उठाएं,
पल दो पल कभी उनके साथ बिताना।

जिंदगी की खूबसूरती न भुलाओ,
जिंदगी को बोझ तुम मत बनाओ।
प्यार से इस पौधे को सींचना तुम,
खुशियों से इसको आबाद बनाओ।

अभिलाषा चौहान

टिप्पणियाँ

  1. तड़प अपनी दिल में न दबाना,
    जख्म को न कभी नासूर बनाना,
    हो अगर दर्द सहना मुश्किल,
    तुम कभी आवाज तो उठाना।....बहुत ख़ूब सखी
    सादर

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