भूख जलाती है..!!!!

भूख!!
जलाती है
तन को मन को,
संसार के समस्त
कर्मों के पीछे
है यही भूख।।
भूख के हैं कई रूप
क्षुधातुर
नहीं देखता
उचित-अनुचित
मांगता भिक्षा या
जूठन में ढूंढ़ता
अपनी भूख का इलाज।।
भूखे बच्चों की तड़प,
पिता को चढ़ा देती फांसी।।
दहेज-लोभियों की भूख
निगल जाती
किसी की जिंदगी।।
सत्ता की भूख
भुला देती
नैतिक-अनैतिक।।
भूख ही जन्मदाता
भ्रष्टाचार की।।
भूख या पेट की आग
निगल जाती
संस्कार, नैतिक मूल्य।।
भूख देती है,
अनचाहे अपराधों
को जन्म।।
लालच की भूख है
सबसे ख़तरनाक,
जिसमें स्वाह होते
रिश्ते-नाते,मां-बाप
और न जाने क्या-क्या??
घर भरे होने पर भी
भूख की आग
अगर हो बलवती
तो जला देती
संसार को।।
भूख ही बनती है वजह
कुकृत्यों की!!
भूख.....?
जिसके इर्द-गिर्द
घूमता है सारा संसार।।

अभिलाषा चौहान




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