ओ माँ!!

मां, तू जीवन दात्री, तू ही है भगवान,
मुझमें नहीं शक्ति कर पाऊं तेरा गुणगान।

मां, तू ममता की मूरत अतुल्य अनुपम,
किसी भी हाल में तेरी ममता न हो कम।

मां, तुझसे ही जीवन, तुझसे ही संस्कार,
तू ही प्रथम गुरू, मेरे जीवन का करे उद्धार।

मां, तू अंतर्मन भी मेरा पहचान लेती है,
बिना कहे तू मेरा ख्याल रखती है।

मां, संकट में मुझे बस तू ही याद आती है,
चिंता से घिरूं तो साथ तुझे पाती हूं।

मां, मेरे कानों में गूंजते सदा तेरे बोल हैं,
कठिन से कठिन क्षणों में देते रस घोल हैं।

मां, तेरी ममता तेरा धैर्य याद आता है मुझे,
तुझसे दूर होने पर यही संबल बंधाता मुझे।

मां, तुम साथ न होकर भी सदा साथ होती हो,
तुम मेरे शरीर में सदा हृदय बन धड़कती हो।

मां, तेरी ममता को मां बनके समझ पाई हूँ,
मां बनकर भी मैं बड़ी नहीं हो पाई हूँ।

मां, तू मेरी शक्ति और तू ही सहारा है ,
मां, तुझसे ही मेरा ये परिचय सारा है।

मां, तेरी ममता बड़ी ही अनमोल है,
जीवन भर भी इसका चुकेगा न मोल है।

मां, तेरी ममता का लिए शब्द नहीं पास मेरे,
मां, तेरी महानता के लिए उद्गार नहीं पास मेरे।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित


टिप्पणियाँ

  1. वाह बहुत प्यारी रचना और माँ 💕

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  2. मां, तू जीवन दात्री, तू ही है भगवान,
    मुझमें नहीं शक्ति कर पाऊं तेरा गुणगान।
    माँ जैसी कोई नहीं। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. . बहुत सुंदर रचना 👌 👌 माँ के लिए जितना लिखो उतना कम है.

    जवाब देंहटाएं

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