नेह बंध,बंध गए
भावनाएं उड़ चली
जोड़ने नेह के तार
जा पहुंची सुदूर देश
चीर कर अंधकार।
न तुम मिले न हम मिले,
नेह बंध ,बंध गए।
अपरिचितों के देश में
मीत नए मिल गए।
कविता की उड़ान ने
विश्व एक बना दिया
बहती हुई बयार ने
भाव-संसार सजा दिया।
मीत ये जो मिल गए
भावनाओं से जुड़ गए
विश्व नया बन गया
राग-द्वेष मिट गया।
अनदेखे ये मीत जो
गा रहे नवगीत जो
चल पड़ी परंपरा
लिखती नई प्रीत को।
एक आस-विश्वास है
मन में हुआ प्रकाश है
कविता का संसार बड़ा
रसमय और खास है।
साथ अनवरत सदा
मन से मन का बना रहे
काव्य-मित्रों की यात्रा
यूं सदा चलती रहे।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
जोड़ने नेह के तार
जा पहुंची सुदूर देश
चीर कर अंधकार।
न तुम मिले न हम मिले,
नेह बंध ,बंध गए।
अपरिचितों के देश में
मीत नए मिल गए।
कविता की उड़ान ने
विश्व एक बना दिया
बहती हुई बयार ने
भाव-संसार सजा दिया।
मीत ये जो मिल गए
भावनाओं से जुड़ गए
विश्व नया बन गया
राग-द्वेष मिट गया।
अनदेखे ये मीत जो
गा रहे नवगीत जो
चल पड़ी परंपरा
लिखती नई प्रीत को।
एक आस-विश्वास है
मन में हुआ प्रकाश है
कविता का संसार बड़ा
रसमय और खास है।
साथ अनवरत सदा
मन से मन का बना रहे
काव्य-मित्रों की यात्रा
यूं सदा चलती रहे।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
कविता की उड़ान ने
जवाब देंहटाएंविश्व एक बना दिया
बहती हुई बयार ने
भाव-संसार सजा दिया।....बहुत ख़ूब सखी
सादर
सहृदय आभार सखी सादर
हटाएंRahasyo ki Duniya
जवाब देंहटाएंRTPS Bihar Plus Services
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