आया चुनाव का मौसम
आया चुनाव का मौसम नेता बुन रहे जाल,
लोक-लुभावन वादों के बुनते मायाजाल।
फैलाए मायाजाल नित चलते नई चाल,
नेताओं की नीतियाँ बनी जी का जंजाल।
सत्ता के भूखे जनता का रखें न ख्याल,
जनता बेचारी निशदिन होती है हलाल।
हाथ जोड़ते फिरते मासूम बना के हाल ,
वोटो की राजनीति नित करती खड़ा बवाल।
सत्ता में आकर नेताजी होते हैं मालामाल,
कब लोगे सुधि हमारी जनता पूछे सवाल।
अभिलाषा चौहान
छायाचित्र गूगल से साभार
लोक-लुभावन वादों के बुनते मायाजाल।
फैलाए मायाजाल नित चलते नई चाल,
नेताओं की नीतियाँ बनी जी का जंजाल।
सत्ता के भूखे जनता का रखें न ख्याल,
जनता बेचारी निशदिन होती है हलाल।
हाथ जोड़ते फिरते मासूम बना के हाल ,
वोटो की राजनीति नित करती खड़ा बवाल।
सत्ता में आकर नेताजी होते हैं मालामाल,
कब लोगे सुधि हमारी जनता पूछे सवाल।
अभिलाषा चौहान
छायाचित्र गूगल से साभार
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