खट्टी-मीठी स्मृतियां

स्मृतियों में जिंदा सदा,
जीवन जो हमने जी लिया।
खट्टी-मीठी यादों का,
अनुभव हमने संजो लिया।
छीन सकता नहीं कोई,
हमसे हमारे पल वो।
जिनको माला के समान,
बीते कल में संजो लिया।
बचपन की वो नादानियां,
घर-आंगन और गलियां।
वो सारे खेल-खिलौने,
संगी-साथी सहेलियां।
वो भाई-बहन का प्यार,
था जिस पर जीवन निसार।
वो रूठना-मनाना,
माता-पिता का दुलार।
वो बेफिक्री वो आजादी,
वो खुशियां वो मस्ती।
राजा थे हम अपने मन के,
सपने बड़े थे जीवन के।
मीठी-खट्टी स्मृतियां,
यादों की सुन्दर गलियां।
मनचाहे तब विचरण करलो,
हैं जीवन की अनुपम घड़ियां।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित







टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जिसे देख छाता उल्लास

सवैया छंद प्रवाह

देखूं आठों याम