सौंदर्य की परिभाषा
नयनों की भाती सुंदरता,
देख उर आनंदित होता।
सुंदर-सुंदर ये सृष्टि सारी,
नयन उस पर हों बलिहारी।
हृदय भाव, गुण हो यदि सुंदर,
जीवन सरल सहज अति सुंदर।
सद्गुण आचरित जीवन सारा,
उत्तम चरित्र जगत विस्तारा ।
सुंदर रूप हो असुंदर सीरत,
दुष्कर जीवन हो प्रेम रहित।
सुंदर सीरत भाव हो अनुपम,
कोई न हो जग में उसके सम।
रूप उम्र संग ढलता जाता,
सीरत उम्र संग चार चाँद लगाता।
करो सुंदर भावों का अवगुंठन,
कलुष मिटे सुंदर जग-जीवन।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
देख उर आनंदित होता।
सुंदर-सुंदर ये सृष्टि सारी,
नयन उस पर हों बलिहारी।
हृदय भाव, गुण हो यदि सुंदर,
जीवन सरल सहज अति सुंदर।
सद्गुण आचरित जीवन सारा,
उत्तम चरित्र जगत विस्तारा ।
सुंदर रूप हो असुंदर सीरत,
दुष्कर जीवन हो प्रेम रहित।
सुंदर सीरत भाव हो अनुपम,
कोई न हो जग में उसके सम।
रूप उम्र संग ढलता जाता,
सीरत उम्र संग चार चाँद लगाता।
करो सुंदर भावों का अवगुंठन,
कलुष मिटे सुंदर जग-जीवन।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
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