बढ़ता औद्योगिकीकरण

औद्योगिकीकरण
विकास के बढ़ते चरण
उत्तम पर अनियोजित
होता वातावरण प्रदूषित।।
ये औद्योगिक कारखाने
उगलते जहरीला धुआं
कटते वन संकट में जीवन
होती जा रही हवा जहरीली
लीलती जा रही जीवन।।
निकलता कारखानों से
अपशिष्ट और कचरा
मिलता नदियों में
करता जल प्रदूषित
जहरीला होता जल
नहीं बचेगा कल।।
जीवन को सुविधा संपन्न
बनाने के लिए उठाए कदम
घोंटते पर्यावरण का दम
बढ़ रहे रोग,दुख भोगते लोग।।
बढ़ता व्यवसायीकरण
स्वार्थ के बढ़ते चरण
उपभोक्ता वादी नीति
रिश्तों में बढ़ी अनीति।।
तनाव, आपाधापी
उपकरणों में उलझा जीवन
यंत्रों के बीच यांत्रिक जीवन
नीरस, शुष्क,बेजान
मधुरता खोता जीवन।।
अभिलाषा चौहान
      ‌



टिप्पणियाँ

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ३ जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. उपकरणों में उलझा जीवन
    यंत्रों के बीच यांत्रिक जीवन
    नीरस, शुष्क,बेजान
    मधुरता खोता जीवन।।
    सटीक सार्थक चिंतन।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सवैया छंद प्रवाह

जिसे देख छाता उल्लास

सवैया छंद- कृष्ण प्रेम