आभूषण

आभूषण
आवरण बाहरी
कर देंगे सौंदर्य वृद्धि
पर ..
क्या ढंक सकेंगे?
मन की मलीनता
क्या बदल सकेंगे
अवगुणों को गुण में।।
जीवन आभूषणों से नहीं
सद्गुणों से संचालित
सत्कर्म,सदाचरण
आभूषण जीवन के
सत्य,अहिंसा,प्रेम
परोपकार,दया, क्षमा
करूणा आदि बने
आभूषण
मानवीयता
में लगते चार चांद।।
सौंदर्य की पराकाष्ठा
आभूषण नहीं,
आभूषण सौंदर्य वृद्धि कारक
कविता-वनिता सुशोभित
आभूषणों से।
कविता में शब्द-अर्थ करते चमत्कार
बनते अलंकार
करते अलंकृत
बनता काव्य सुन्दर
मगर आत्मा
काव्य की नहीं बन सकते
भाव काव्य में भर नहीं सकते।।
नारी के सौभाग्य प्रतीक
दुल्हन के श्रृंगार कारक
मात्र प्रतीक चिन्ह!
होते आभूषण
सर्वस्व नहीं
होते आभूषण!
क्योंकि.....
बाहरी सौंदर्य से ज्यादा
आंतरिक सौंदर्य है
महत्त्वपूर्ण!!

अभिलाषा चौहान
स्वरचित

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