कौन सुनता है आवाज

आवाज़ दबा दी जाती है अकसर
मन की,आत्मा की,
सुनी-अनसुनी करना
बन गई है फितरत हमारी।
कौन सुनता है ??
जब तड़पती हैं मासूम
हैवानों के बीच
दब जाती है आवाज
अट्टहासों में!!!
कौन सुनता है ?
जब शोषण के खिलाफ
उठती आवाज
अक्सर दबा दी जाती है
बाहुबलियों द्वारा !!!
अब शब्द मुंह में जबरन
ठूंसे जाते हैं
सच्चाई को दबाने के लिए
छीन ली जाती है
स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की ।।
अब आवाज वेबस है
भटकते सरकारी दफ्तरों में
गरीब काम की आशा में
नहीं होती सुनवाई
बहरी व्यवस्था में
कौन सुनता है आवाज  ??
आत्मा कराहती है अक्सर
अन्याय को देखकर
बहरे इंसान
कहां सुनते हैं आवाज ??
घर-बाहर हर जगह
मजबूर आदमी
जिसकी आवाज
मर जाती है उसी के अंदर!!

अभिलाषा चौहान
स्वरचित




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