अतीत

अतीत और वर्तमान,
सहोदर सम सदा साथ,                               संवारते भविष्य को।
अतीत देता है प्रेरणा,
गलतियों को न दोहराने की,
सिखाता है सबक।
लेकिन..............!
मैंने लोगों को अतीत में डूबे देखा है,
अतीत को लेकर वर्तमान को,
बिगाड़ते देखा है।
चलती हैं पुश्तैनी लड़ाइयाँ,
होते हैं वाक-युद्ध,
उखड़ते हैं गढ़े मुर्दे,
यही तो देखते हैं प्रतिदिन।
वर्तमान राजनीति,
रोना रोती अतीत का,
भूल वर्तमान को,
करती दोषारोपण।
अतीत तो भारत का,
बड़ा सुनहरा था।
ज्ञान-विज्ञान अनुसंधान से,
भारत का रिश्ता गहरा था।
वीरता-विनय सत्य - अहिंसा,
आभूषण थे।
वीरों की गाथाओं से सजा था,
अतीत हमारा।
पौराणिक गाथाओं से,
समृद्ध संसार ये सारा।
केवल कल्पनाएं रह गई ,
ये अनुपम सौगातें।
अब तो बना अतीत को मोहरा,
हो रही हैं घातें।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित
चित्र गूगल से साभार 





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सवैया छंद प्रवाह

सवैया छंद- कृष्ण प्रेम

कह मुकरी छंद