ज्योति जीवन की
असीम विषमताएं
अनेक समस्याएं
उलझा जीवन
लड़ता जंग
जिंदगी की।
अभी भी जल रही
आश-ज्योति
प्रदीप्त जिजीविषा
प्रबल होती
प्राण- ज्योति
अनवरत, निरंतर।
जीवन-गति
निर्बाध, निर्बंध
चलायमान
करती सामना।
आंधियों
तूफानों का
सतत
प्रज्वलित
ज्ञान-ज्योति से।
अमानवीयता के आवरण में
धर्म, सद्भाव, मानवता
बुझती हुई लौ सम
बस एक प्रयास
और जल उठती है
मानवीयता की ज्योति।
यह सृष्टि
आत्म-ज्योति से
प्रकाशित
परमात्म-स्वरूप
सतत प्रवाहमान
अद्वितीय, अनुपम।
अभिलाषा चौहान
अनेक समस्याएं
उलझा जीवन
लड़ता जंग
जिंदगी की।
अभी भी जल रही
आश-ज्योति
प्रदीप्त जिजीविषा
प्रबल होती
प्राण- ज्योति
अनवरत, निरंतर।
जीवन-गति
निर्बाध, निर्बंध
चलायमान
करती सामना।
आंधियों
तूफानों का
सतत
प्रज्वलित
ज्ञान-ज्योति से।
अमानवीयता के आवरण में
धर्म, सद्भाव, मानवता
बुझती हुई लौ सम
बस एक प्रयास
और जल उठती है
मानवीयता की ज्योति।
यह सृष्टि
आत्म-ज्योति से
प्रकाशित
सतत प्रवाहमान
अद्वितीय, अनुपम।
अभिलाषा चौहान
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