मिट जाएं दूरियां.....
मिट जाएं दूरियां कोई बात तो हो,
जीवन में प्यार की शुरुआत तो हो।
क्यों बढ़ गई हैं तन्हाइयां इतनी,
दूर हो जाएंगी रोज मुलाकात तो हो ।
हमने तो लुटाया दिल का चमन अपना,
सहेज लो तुम इसे इतने जज्बात तो हो।
दर्दे-इश्क के समंदर में डूबती कश्ती हमारी,
रही इसकी वजह क्या हमें मालूमात तो हो।
रह-रह के जागती अभिलाषा ये मन में,
कभी बदलेंगी हवाएं सही हालात तो हो।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
जीवन में प्यार की शुरुआत तो हो।
क्यों बढ़ गई हैं तन्हाइयां इतनी,
दूर हो जाएंगी रोज मुलाकात तो हो ।
हमने तो लुटाया दिल का चमन अपना,
सहेज लो तुम इसे इतने जज्बात तो हो।
दर्दे-इश्क के समंदर में डूबती कश्ती हमारी,
रही इसकी वजह क्या हमें मालूमात तो हो।
रह-रह के जागती अभिलाषा ये मन में,
कभी बदलेंगी हवाएं सही हालात तो हो।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
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