मिट्टी से मिट्टी का नाता

ये संसार मिट्टी का घड़ा,
मिट्टी में मिल जाएगा।
सोच रहा तू क्या बंदे!
क्या लेकर के जाएगा?

मिट्टी से बना शरीर,
मिट्टी में मिल जाएगा ।
सोच रहा तू क्या बंदे!
क्या लेकर के जाएगा?

बात सही थी लेकिन तुझको,
अब तक भी न खबर हुई।
मेरा-तेरा करते-करते,
तेरी पूरी उमर हुई।

ये मिट्टी का घड़ा शरीर,
आत्मा इसका है स्थान।
जिस दिन त्यागा उसने इसको,
पहुंच जाएगा तू श्मशान।

आंखे खोलकर देख सत्य को,
करले अपना जीवन आसान।
वेद-पुराण भी इस सत्य का,
करते आए सदा बखान।

मिट्टी से मिट्टी का नाता
कभी नहीं है टूटा ।
खाली हाथ जाना है सबको,
जो जोड़ा सब यहीं छूटा।

अभिलाषा चौहान

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