हौंसलों की उड़ान
जिनके हौंसलों में अभी जान बाकी है,
उनके लिए पूरा आसमान बाकी है।
मंजिलें ही जिनके जीवन का लक्ष्य हो,
मुश्किलें उनके लिए बन जाती साकी हैं।
बुरा या अच्छा वक्त वे देखते नहीं,
वक्त को बदलने का उनमें हुनर काफ़ी है।
जिंदगी का जोशे जुनून जिसमें बाकी है,
उसमें ही नया करने का संधान बाकी है।
बाधाएं नित खड़ी हो या छाए अंधकार घना,
करते हैं सामना वे लहू में उबाल बाकी है।
मुड़ के पीछे देखना उन्हें गवारा नहीं,
आगे बढ़ने की उनमें ललक काफी है।
जीते हैं शान से औ मरते हैं शान से,
क्योंकि उनमें अभी स्वाभिमान बाकी है।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
उनके लिए पूरा आसमान बाकी है।
मंजिलें ही जिनके जीवन का लक्ष्य हो,
मुश्किलें उनके लिए बन जाती साकी हैं।
बुरा या अच्छा वक्त वे देखते नहीं,
वक्त को बदलने का उनमें हुनर काफ़ी है।
जिंदगी का जोशे जुनून जिसमें बाकी है,
उसमें ही नया करने का संधान बाकी है।
बाधाएं नित खड़ी हो या छाए अंधकार घना,
करते हैं सामना वे लहू में उबाल बाकी है।
मुड़ के पीछे देखना उन्हें गवारा नहीं,
आगे बढ़ने की उनमें ललक काफी है।
जीते हैं शान से औ मरते हैं शान से,
क्योंकि उनमें अभी स्वाभिमान बाकी है।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें