मैं वीणा हूँ संगीत हो तुम

साथी जबसे तुम मेरे बने,
साथ बुने हमने सपने।

नयनों ने प्रेम-पुष्प चुने,
भावों के सुंदर हार बने।

मेरे जीवन का श्रृंगार हो तुम,
हर सफर में साथ रहेंगे हम।

मैं वीणा हूँ, संगीत हो तुम,
मैं दिल हूँ , तो धड़कन हो तुम।

हम दोनों का अस्तित्व ही एक,
अहम न हो,सदा हो विवेक।

सुख-दुख कितने ही आएंगे,
हम मिलकर साथ निभाएंगे।

एक सुंदर - सा संसार अपना,
बस प्रेम भाव से सहज बना।

जीवन का यह सुंदर सफर,
तेरे साथ ही पूरा हो हमसफर।

अभिलाषा चौहान
चित्र गूगल से साभार 

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