उलझन है तो समाधान है

दोराहे पर खड़ा जीवन
समस्याओं से घिरकर
भूल जाता है आगे बढ़ना
तब जन्म लेती है उलझन
जिसमें फंसकर जीवन
मुक्ति की चाह में छटपटाता है
दूर करना चाहता है उलझन
उलझाती नहीं है उलझन
प्रेरित करती आत्मशक्ति को
देती चुनौती बुद्धि-विवेक को
करती  है मार्गदर्शन
कराती है आत्मचिंतन
जिससे होता शक्ति का स्फुरण
उलझनों में उलझना जीवन है
उलझनों से निकलना परिवर्तन है
उलझने बनाती मनुष्य को क्रियाशील
इससे होता है जीवन गतिशील
यूं ही चलता है अनवरत जीवन
उलझन से ही उन्नति करता जीवन
समस्या है तो उलझन है
उलझन है तो समाधान है
समाधान है तो संधान है
संधान है तो जीवन आसान है।

अभिलाषा चौहान
चित्र गूगल से साभार 






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