चलो चलते हैं
मन से मन मिले
प्रेम पुष्प खिले
ओ मीत मेरे
चलो चलते हैं
कहीं दूर
जहां जिंदगी मुस्काए
बांहें फैलाए
मैं-तुम , हम बन जाए
चलो चलते हैं
दूर बहुत दूर
उस क्षितिज तक
जहां हो मिलन
जैसे धरती-गगन
हम होके मगन
एक हो जाए
ओ मितवा
चलो चलते हैं
जीते हैं कुछ पल
जिंदगी के
सुनते हैं मन की आवाज
छेड़ प्रेम का साज
मिले सपनों को परवाज
जी ले अपना आज
ओ मितवा
प्रीत पथ चुन के
सांसों की धुन पे
नया गीत गुनगुनाए
जीवन बन जाए सरगम
अभिलाषा चौहान
प्रेम पुष्प खिले
ओ मीत मेरे
चलो चलते हैं
कहीं दूर
जहां जिंदगी मुस्काए
बांहें फैलाए
मैं-तुम , हम बन जाए
चलो चलते हैं
दूर बहुत दूर
उस क्षितिज तक
जहां हो मिलन
जैसे धरती-गगन
हम होके मगन
एक हो जाए
ओ मितवा
चलो चलते हैं
जीते हैं कुछ पल
जिंदगी के
सुनते हैं मन की आवाज
छेड़ प्रेम का साज
मिले सपनों को परवाज
जी ले अपना आज
ओ मितवा
प्रीत पथ चुन के
सांसों की धुन पे
नया गीत गुनगुनाए
जीवन बन जाए सरगम
अभिलाषा चौहान
चित्र गूगल से साभार |
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