सूना मन




प्रिय भाई को समर्पित

सूना मन
सूना जीवन
तुम बिन भैया
सूना सावन
न सुहाए मुझे
रक्षाबंधन
याद आई वो
तुम्हारी कलाई
जिस पर सबसे पहले
मेरी राखी सुहाई
अब कौन मुझे
धीरज बंधाए
तुम बिन न
पहला सावन सुहाए
कैसे काटूं मैं पल छिन
न जिया जाए अब तुम बिन
न भाए कोई अब
तीज त्योहार
ये कैसा नियति
का प्रहार
अभी उम्र नहीं थी
जाने की
खाई थी कसमें
साथ निभाने की
ये घर आंगन
सूने तुम बिन
ढूंढे हर ओर
तुम्हें मेरे नयन

अभिलाषा चौहान 

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