देख लो आईना है सच दिखाता

समाज को बदलना है
तो शुरूआत घर से होगी
संतान को बदलना है
तो शुरूआत खुद से होगी
बोलने से कोई नहीं कुछ सीखता है
दण्ड से भी कोई नहीं कुछ सीखता है
आचरण जैसा तुम्हारा स्वयं होगा
बीज संतति में भी वैसा पडेगा
दोष देना संतति को व्यर्थ है
संस्कारित करने में ही अर्थ है
देख लो आईना है सच दिखाता
संतति का आचरण बन आईना जाता
छोटा शिशु भी देखा देखी सीखता सब
गढता जाता कुंभ सम उसका व्यक्तित्व
संस्कारित आचरण यदि स्वयं का होगा
देख शिशु स्वयं ही संस्कारवान बनेगा
नारी का आदर यदि घर घर में होगा
तो कोई भी बालक न बेहूदगी करेगा
अत्याचार जब घर में वह देखता है
अत्याचारी बन वह भी निखरता है
सद्गुणों की उसको तब पहचान होगी
घर में जब सद्गुणो की शान होगी
चित्र गूगल से साभार
अभिलाषा चौहान 

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