सबकी अपनी अपनी दुनिया

बसते बसते बसती दुनिया
सपनों से सज जाती दुनिया
इस दुनिया में सबकी दुनिया 
कभी हंसती कभी रोती दुनिया 
कितनी प्यारी होती दुनिया
जब प्यार से बनती दुनिया
नफरत घुल जाए जब इसमें
बडी़ बुरी ये लगती दुनिया
बहुत बड़ी है वैसे दुनिया
सबकी अपनी अपनी दुनिया
कभी सरहदों में बंटती दुनिया
कभी आपस में लडती दुनिया
कभी उजडती कभी बस जाती
कभी पल में रंग बदलती दुनिया
ईश्वर की है ये सुंदर रचना
प्रकृति का उपहार ये दुनिया

अभिलाषा चौहान 





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