वक्त की करवटें
वक्त बदल जाता है
हालात बदल जाते हैं
देखते-देखते
इंसान बदल जाते हैं
कभी हम फकीर तो
कभी शहंशाह बन जाते हैं
मुकद्दर पर किसी का
जोर कहां चलता है
कभी हम अर्श पर
तो कभी फर्श पर आ जाते हैं
वक्त फिसलता जैसे रेत मुट्ठी से
हम वक्त के आने का
करते इंतजार रह जाते हैं
वक्त को थामना किसी के
बस में कहां
वक्त की चाल से
ख्यालात बदल जाते हैं
अभिलाषा चौहान
हालात बदल जाते हैं
देखते-देखते
इंसान बदल जाते हैं
कभी हम फकीर तो
कभी शहंशाह बन जाते हैं
मुकद्दर पर किसी का
जोर कहां चलता है
कभी हम अर्श पर
तो कभी फर्श पर आ जाते हैं
वक्त फिसलता जैसे रेत मुट्ठी से
हम वक्त के आने का
करते इंतजार रह जाते हैं
वक्त को थामना किसी के
बस में कहां
वक्त की चाल से
ख्यालात बदल जाते हैं
अभिलाषा चौहान
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