मेरा अनोखा वतन

मेरे वतन की माटी की बात अनोखी है
सारे जहाँ में इसकी शान अनोखी है

धर्म भाषा संस्कृति के भेद कितने हो
एकता के सूत्र बंधने की रीत अनोखी है

देख लो कुदरत के सारे रंग इसमें है
हिमगिरि रक्षा प्रहरी की साख अनोखी है

वादियां कश्मीर की इसकी जन्नत है
प्रकृति के रंगों की यहां शोभा अनोखी है

गले में हार गंगा का सोहता जिसके
जलधि भी पांव नित पखारता जिसके

शस्य श्यामल भूमि जिसकी शोभा हो
अनोखा है वतन मेरा इसकी शान अनोखी है

वीरप्रसविनी भूमि इसकी वीर रत्न  उगले
बनी वीरों से विश्व में पहचान अनोखी है

विश्वगुरू है ये वंदनीय इसकी है माटी
यहां प्राण न्योछावर करने की रीत अनोखी है।

अभिलाषा चौहान
चित्र गूगल से साभार 

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