मां भारती के वीर सपूत
उन शहीदों को कैसे भूलें
जो झूला फांसी का झूले
वो हंसते रहे सर कटते रहे
दुश्मन के छक्के छुडाते रहे
न रूके कभी न झुके कभी
मां भारती के लिए मिटते रहे
सीने पर जब खाई गोली
तब मां भारती की जय बोली
आजादी उनको प्यारी थी
महिमा उनकी न्यारी थी
वो भारत मां के लाल सदा
तन मन धन न्योछावर करते रहे
न फिक्र थी उनको डंडों की
न फिक्र थी फांसी के फंदों की
लहू बहता था लावा बनकर
सरफरोशी की बस तमन्ना थी
घर परिवार भी छोड़ा था
बस कफन से नाता जोडा था
ले जान हथेली पर निकले
वे मतवाले धुन के पक्के
तब मिल पाई आजादी हमें
याद करें न कैसे हम उन्हें
वो शहीद हुए हम मुरीद हुए
हम करते शत-शत नमन उन्हें
अभिलाषा चौहान
जो झूला फांसी का झूले
वो हंसते रहे सर कटते रहे
दुश्मन के छक्के छुडाते रहे
न रूके कभी न झुके कभी
मां भारती के लिए मिटते रहे
सीने पर जब खाई गोली
तब मां भारती की जय बोली
आजादी उनको प्यारी थी
महिमा उनकी न्यारी थी
वो भारत मां के लाल सदा
तन मन धन न्योछावर करते रहे
न फिक्र थी उनको डंडों की
न फिक्र थी फांसी के फंदों की
लहू बहता था लावा बनकर
सरफरोशी की बस तमन्ना थी
घर परिवार भी छोड़ा था
बस कफन से नाता जोडा था
ले जान हथेली पर निकले
वे मतवाले धुन के पक्के
तब मिल पाई आजादी हमें
याद करें न कैसे हम उन्हें
वो शहीद हुए हम मुरीद हुए
हम करते शत-शत नमन उन्हें
अभिलाषा चौहान
शत-शत नमन वीर जवानों को,कैसे कर्ज अदा करेगें उनका गवा जिंदगी जिन्होंने अपनी, सांसें हमारी महकादी |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन दी
सादर