भारत या इंडिया



स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मेरी ओर से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
अपने मन की अनुभूति को प्रस्तुत कविता में
अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है।







वतन की शान प्यारी हो
वतन की आन प्यारी हो
वतन के सामने किसी को
न अपनी जान प्यारी हो ।
बडी़ मुद्दत से मिली है जो
आजादी है हमको
बडी़ शिद्दत से वीरों ने
दिलवाई है हमको
बहा के खुद लहू अपना
सच किया आजादी का सपना
वतन के सामने उनको न
कुछ भी और था प्यारा
वतन के लिए उन्होंने 
अपना सब कुछ था हारा
वही वतन है आज
हम वतन के वाशिंदे 
बना कर धर्म जाति की
दीवारें और वोट के फन्दे
लडें आपस में और पहुंचाए
वतन की संपत्ति को नुकसान
आरक्षण बन गया है ढाल
चुनावी वादों में
बने मंदिर और मस्जिद भी
अब चुनावी मुद्दे हैं
बना कश्मीर भी देखो
रण का अखाड़ा है
गुलामी की वो जंजीरें
तब जो टूटी थीं
बनी गलहार हैं देखो
देश की जनता की
वादों और इरादों का
फर्क तुम देखो
अभी भी देश में
छाई कितनी गरीबी है
भर गए घर हैं उनके
कुर्सी पर जो बैठे
अभी भी एक भारत में
दो भारत हैं जीते
एक इंडिया है कहलाता
एक भारत है कहलाता
इंडिया है अमीरों का
और भारत गरीबों का
कभी मिट जाएगा ये भेद
ये उम्मीद बाकी है
मेरे वतन की इस जहां में
शान अनोखी है।

अभिलाषा चौहान 

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