जियो जिंदगी ऐसे......
दरवाजा
दिल का हो या घर का
कभी तो खुला रखो
नई रोशनी इसमें आने तो दो
झरोखा
दिल का हो या घर का
जरा इसमें
ताजी हवा आने तो दो
आंखों के पट खोल के
देखो भले ही दुनिया को
दिल को सही-गलत की
आजमाइश होने तो दो
रूह को अहसास का
अहसास होता रहे
दुनिया में खुद को
रमाते रहो।
न करो कान से सुनी
बात का तुम भरोसा
बुद्धि को भी जरा
काम आने तो दो
जीना सिर्फ नाम का
किसलिए
जिंदगी को जिंदगी का
लुत्फ उठाने तो दो
बंध गए बंधनों में
तो क्या हुआ
दिल को बच्चा बन
खिलखिलाने तो दो
उम्र हावी न हो जाए
तुम पर कहीं
उम्र को जिंदगी
रास आने तो दो
अभिलाषा चौहान
दिल का हो या घर का
कभी तो खुला रखो
नई रोशनी इसमें आने तो दो
झरोखा
दिल का हो या घर का
जरा इसमें
ताजी हवा आने तो दो
आंखों के पट खोल के
देखो भले ही दुनिया को
दिल को सही-गलत की
आजमाइश होने तो दो
रूह को अहसास का
अहसास होता रहे
दुनिया में खुद को
रमाते रहो।
न करो कान से सुनी
बात का तुम भरोसा
बुद्धि को भी जरा
काम आने तो दो
जीना सिर्फ नाम का
किसलिए
जिंदगी को जिंदगी का
लुत्फ उठाने तो दो
बंध गए बंधनों में
तो क्या हुआ
दिल को बच्चा बन
खिलखिलाने तो दो
उम्र हावी न हो जाए
तुम पर कहीं
उम्र को जिंदगी
रास आने तो दो
अभिलाषा चौहान
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