आखिर पहाड़ भी दिल रखते हैं!!


पहाड़ हुए अशांत
कभी गोली से कभी हमले से
कभी पर्यटकों के बढते हुए काफिले से
कभी आतंकी गतिविधियों से
घटने लगी है सुंदरता
हरियाली रहित नंगे पहाड़
दरक जाते हैं अक्सर
सहन नहीं कर पाते शोर
अपने ऊपर अत्याचार
आखिर पहाड़ भी दिल रखते हैं
चुक जाती है सहनशक्ति
टूट जाता है सब्र का बांध
कमजोर थके पहाड़
दरक जाते हैं अक्सर
तोडा जाता है इनको निर्ममता से
बनाने के लिए सड़क और सुंरग
प्रदूषण और कचरे से
बीमार होते पहाड़
दरक जाते हैं अक्सर
ये भूस्खलन नहीं
दर्द है पहाड़ों का
जो अचानक बह उठता है
तुम कितने निष्ठुर हो ?
अपना दुःख देखकर भी
पहाड़ों का दर्द नहीं समझ पाते!
ये शांत सुंदर बर्फीले पहाड़
बैचेन हैं अस्तित्व को लेकर
इसीलिए दरक जाते हैं अक्सर
********अभिलाषा चौहान **********
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