देश का कर्णधार

जो करे कभी कर्म नहीं
निभाए मनुज धर्म नही
रहे दुर्दैव को कोसता
मेहनत का जिसे मर्म नहीं
रहे सदा असफल जो
कहे कौन मनुज उसे
सत्य से है दूर जो
भाग्य को जो कोसता
असफल हो सदा वो
रोना किस्मत का रोता
मनुज तो वही सदा
जो पुरूषार्थ के पथ पर चले
बाजुओं के जोर से
किस्मत को बदल दे
उत्साही वीर नौजवान
डरे  नहीं रूके नहीं
पथ में शूल हों
या बेडियां हो
प्रेम की
कर्तव्य और कर्म की
जिसे सदा
पहचान हो
देश की किस्मत भी
पल में जो बदल सके
वही वीर नौजवां
देश का कर्णधार है
            अभिलाषा चौहान






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