कशमकश जिंदगी की


जीवन में कभी-कभी अनिर्णय की स्थिति आ
जाती है । उसका कारण मेरी दृष्टि में ये है। आप क्या सोचते हैं, बताइए जरा......




मन न माने दिल की
दिल न माने दिमाग की
एक युद्ध छिड़ा अंतरतम में
एक द्वंद्वं मचा है जीवन में
जब खुद को ही न सम्हाल सके
तो दुनिया कैसे हम सम्हालेंगे
मन उडता है नीलगगन में
दिल डूबा है भाव समंदर में
दिमाग भिडाता तिकड़म है
ऊहापोह का ये जीवन है
कैसे इनको हम समझाए
जब तक  न तीनों साथ चले
मंजिल को पाना मुश्किल है
जब तक खुद को न जीत सके
तो दुनिया कैसे जीतेंगे
आधी उम्र बीती उलझन में
आधी बीती इन्हें सुलझन में
जब तक इनसे हम उबरेंगे
उमर की गगरी रीतेगी
जिंदगी कशमकश की
ऐसे ही ये बीतेगी
अभिलाषा चौहान


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