मैं पीता प्रेम भरा प्याला

मैं मदमस्त हवा का झोंका
मेरी अपनी कहानी है
रोके से भी नहीं रूकुं मैं
 हाथों में मेरे रवानी है
उठता फिरता मैं नीलगगन में
अपनी धुन का मैं मतवाला
पीने वाले पीते होंगे हाला
मैं पीता प्रेम भरा प्याला
नित आगे मै ऐसे बढता
जैसे  नदिया की धारा
 पंख लगा के सपनों के
नित उडना मैने सीख लिया
आंखें मेरी सदा लक्ष्य पर
सत्य से नाता जोड लिया
 अभिलाषा चौहान




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