बदलती हवाएं बडी बेरहम हैं....


हवाएं अब बदल गईं हैं
शीतलता भी
कहीं गुम हो गई
अब ये हवाएं जलाती
बहुत हैं
नमी आंसुओं की
इनमें अब नहीं हैं
पैगाम
किसी का लाती नहीं है
बदल दिया है
इन हवाओं ने
इंसानी फितरत को
अब ये मरहम दिल पे लगाती नहीं है
देती हैं बेरहमी से घाव
अफवाहें ये फैलाती बहुत हैं
खंजर सी चुभती
हवाएं आज कल की
सुकूं दिल को ये पहुंचाती नहीं हैं
उडा देती हैं पल में
सजे आशियाने
रहम बेरहम खाती नहीं है
खामोशी इनकी खटकती बहुत है
दिल को ये धडकाती बहुत हैं
                   अभिलाषा चौहान

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