फलसफा जिंदगी का........


जमाने की नजरे इनायत तो देखो
क्या क्या सितम हम पर ढाए गए हैं  ।


जो हमने खुश होके जीना है चाहा
तो दुनिया को हम भाये नहीं है।


 हमने भी ठाना दिखाना जमाने को
कि हम तो कभी घबराये नहीं है।


लेकर चले हम जख्मेदिल  तो
दांतों तले वे अंगुली दबाये हुए हैं।


हमने तो बांधा कफन अपने सिर पर
दुख को साथी बनाए हुए हैं।


रहमत पर उसकी है पूरा भरोसा
जिंदगी को जन्नत बनाए हुए हैं ।
 
            अभिलाषा चौहान




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