बस युवा वही कहलाते हैं......

आजकल जो युवा काल्पनिक दुनिया में रहतें हैं और अपने जीवन के अनमोल समय को व्यर्थ
गंवा देते हैं, उन पर चंद पंक्तियाँ .....

ख्याली पुलाव  पकाते हैं
ख्यालो के महल बनाते हैं
बातों के बताशे फोडें जो
वे युवा नहीं कहलाते हैं
हैं सतरंगी सपने उनके
घूमें वे भंवरा बनके
करें हरकतें जो छिछोरों सी
वे युवा नहीं कहलाते हैं
फैशन के दीवाने वे
शमा के हैं परवाने वे
मांबाप की सारी मेहनत को
सरे राह धुएं में उडाते हैं
वे युवा नहीं कहलाते हैं
जीवन का भार लिए फिरते
पतन की राह हैं जो चलते
हैं  ऐशो आराम की चाह जिन्हें
परिवार की नहीं परवाह उन्हें
वे युवा नहीं कहलाते हैं
व्यसन जिन्हें अति प्यारा हो
मेहनत से किया किनारा हो
दुर्दैव का रोना रोते जो
वे युवा कहां कहलाते हैं
समय की बदले धारा जो
मुटठी में जिनके आसमां हो
जो चट्टानों से टकराए
बस युवा वही कहलाते हैं

      अभिलाषा चौहान


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