अच्छाईयों के पड गए टोटे

आज कल  चेहरों पर
लगे हैं मुखौटे
पता ही नहीं चलता
लोग खरे हैं या खोटे
अच्छाईयों के अब
पड़ रहे टोटे
कब कौन कहां किसके
विश्वास का गला घोंटे
मित्र बने शत्रु
अपने बने पराए
विपत्ति जब आए
तो उतर गए मुखौटे
कैसी हो गई सोच लोगों की
ये बात हमेशा दम घोंटे
बंटते घर रिश्ते मां बाप
सुन सुनकर दिल उठता कांप
पैसा बन गया सबका बाप
इस पैसे के आगे कौन किसे पूछे
आज कल हर तरह के
हो गए मुखौटे
घर बडे़ और लोगों के
दिल हो गए छोटे
**,  ***, **, ***, **, अभिलाषा चौहान


चित्र गूगल से साभार 

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