क्षणिकाएं...........
घटा
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चाहे दुख की
चाहे मेघ की
चाहे तम की
घिर के आती जरूर है
सूरज
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चाहे सुख का
चाहे परिवर्तन का
चाहे प्रकाश का
निकलता जरूर है।
वर्षा
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चाहे जल की
चाहे प्रेम की
चाहे करूणा की
होती जरूर है।
किरण
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चाहे उम्मीद की
चाहे रोशनी की
चाहे संघर्ष की
दिखाई देती जरूर है।
बीज
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चाहे सृजन का
चाहे सद्भाव का
चाहे वैमनस्य का
पनपता जरूर है।
परिवर्तन
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चाहे सृष्टि का
चाहे जीवन का
चाहे व्यवस्था का
होता जरुर है।
प्रकृति
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चाहे स्वभाव की
चाहे इंसान की
चाहे भगवान की
बदलती जरूर है ।
संकल्प
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चाहे कर्म का
चाहे धर्म का
चाहे आचरण का
प्रकट होता जरूर है।
सुगंध
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चाहे पुष्प की
चाहे यश की
चाहे सत्कर्म की
सुवासित करती जरूर है।
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चाहे दुख की
चाहे मेघ की
चाहे तम की
घिर के आती जरूर है
सूरज
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चाहे सुख का
चाहे परिवर्तन का
चाहे प्रकाश का
निकलता जरूर है।
वर्षा
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चाहे जल की
चाहे प्रेम की
चाहे करूणा की
होती जरूर है।
किरण
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चाहे उम्मीद की
चाहे रोशनी की
चाहे संघर्ष की
दिखाई देती जरूर है।
बीज
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चाहे सृजन का
चाहे सद्भाव का
चाहे वैमनस्य का
पनपता जरूर है।
परिवर्तन
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चाहे सृष्टि का
चाहे जीवन का
चाहे व्यवस्था का
होता जरुर है।
प्रकृति
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चाहे स्वभाव की
चाहे इंसान की
चाहे भगवान की
बदलती जरूर है ।
संकल्प
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चाहे कर्म का
चाहे धर्म का
चाहे आचरण का
प्रकट होता जरूर है।
सुगंध
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चाहे पुष्प की
चाहे यश की
चाहे सत्कर्म की
सुवासित करती जरूर है।
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