वह मंजर.... जो दर्द का समंदर है
याद आता है मुझे जब
वह मंजर
जब चल पड़ा कोई अपना
अनंत यात्रा पर...
देखा आंसुओं का समंदर
टूटती हुई मां बदहवास सी
टूटी पिता की कमर
देखते असहाय से
लुटते हुए खुद को
चला गया जब पुत्र-धन
वर्षों की तपस्या का
हुआ ऐसा हनन
देख ऐसा मंजर
मैं उठी सिहर
कर्ण पट फाडता रूदन
बेसुध पत्नी के छिन गए
सभी श्रृंगार......
हाय! वह मंजर...
विचलित, विकलित
बेसुध परिजन
लुट गया सर्वस्व
खाली हाथ, खाली जीवन
रह गया अमिट सूनापन
हृदय को चीरता
हर कोई बिसूरता
जाना असमय किसी का
सब कुछ बिखेर देता है
बड़ा दर्दनाक होता है
वह मंजर
जब उमडता दर्द का समंदर
नहीं चलता किसी का बस
रह जाता खड़ा इंसान बेबस
ईश्वर के आगे
पटकता सिर
फिर रह रह कर
याद आता
वह मंजर
कमी...!
किसी की कोई
नहीं कर पाता पूरी
तब आता है याद
बार-बार, हरबार
वह दर्दनाक मंजर
उमड़ पडता है फिर
दर्द का समंदर !
छोटी - छोटी बातो में
दिन हो या कि रातों में
जागती स्मृतियाँ
दिल तोडतीं हैं
बार-बार
दिला देती हैं याद
वह मंजर
कांपता शरीर
कसक उठता दिल
छलक जाते अश्रु
जब याद आता
वह मंजर
उमडता आंसुओं का समंदर !
(अभिलाषा चौहान)
वह मंजर
जब चल पड़ा कोई अपना
अनंत यात्रा पर...
देखा आंसुओं का समंदर
टूटती हुई मां बदहवास सी
टूटी पिता की कमर
देखते असहाय से
लुटते हुए खुद को
चला गया जब पुत्र-धन
वर्षों की तपस्या का
हुआ ऐसा हनन
देख ऐसा मंजर
मैं उठी सिहर
कर्ण पट फाडता रूदन
बेसुध पत्नी के छिन गए
सभी श्रृंगार......
हाय! वह मंजर...
विचलित, विकलित
बेसुध परिजन
लुट गया सर्वस्व
खाली हाथ, खाली जीवन
रह गया अमिट सूनापन
हृदय को चीरता
हर कोई बिसूरता
जाना असमय किसी का
सब कुछ बिखेर देता है
बड़ा दर्दनाक होता है
वह मंजर
जब उमडता दर्द का समंदर
नहीं चलता किसी का बस
रह जाता खड़ा इंसान बेबस
ईश्वर के आगे
पटकता सिर
फिर रह रह कर
याद आता
वह मंजर
कमी...!
किसी की कोई
नहीं कर पाता पूरी
तब आता है याद
बार-बार, हरबार
वह दर्दनाक मंजर
उमड़ पडता है फिर
दर्द का समंदर !
छोटी - छोटी बातो में
दिन हो या कि रातों में
जागती स्मृतियाँ
दिल तोडतीं हैं
बार-बार
दिला देती हैं याद
वह मंजर
कांपता शरीर
कसक उठता दिल
छलक जाते अश्रु
जब याद आता
वह मंजर
उमडता आंसुओं का समंदर !
(अभिलाषा चौहान)
दिल को छू गई बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार 🙏
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 02 जुलाई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार 🙏 यशोदा जी आपका स्नेह सदा बना रहे। आपके मार्गदर्शन की अपेक्षा में।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना, सीधे अंदर तक प्रहार करती, एक भीषण मंजर आंखों के सामने उकेरती रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कुसुम जी वास्तव में किसी के भी जीवन में
जवाब देंहटाएंजब ऐसा दिन आता है तो स्थितियाँ असहनीय हो
जाती है। इंसान के लिए ये समय बड़ा कष्टप्रद होता है । सादर आभार 🙏
बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना..।
जवाब देंहटाएंसादर आभार सखी शुभा जी
हटाएंआदरणीय अभिलाषा जी -- हर इंसान देर स्वर या जीवन में कभी भी कहीं भी इस तरह के मंजर से साक्षात्कार करता है |और संसार में जीवन सबसे अनमोल है जब वही मिट जाए तो शेष क्या ? इंसान कहीं गया हो तो लौट आ जाता है पर अनंत यात्रा से वापसी की कोई गुंजाईश नही | सचमुच यही मंजर होता है |कई दृश्य साकार हो आये रचना से | अत्यंत मार्मिक लेखन !!!!!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीया रेणू जी जो आपने मेरे भावों
हटाएंको सराहा। इस कटु यथार्थ की मर्मांतक पीडा
असहनीय होती है । बस उसी पीड़ा को
अभिव्यक्त कर दिया है।
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जवाब देंहटाएंFair 제왕 카지노 롤링 Play Casino Review 2021 - Best fair play 오즈포탈 casino in the country! Fairplay is one of 메리트카지노 the most 온카지노 사이트 popular 메리트 카지노 조작 casino software suppliers