रिश्ते कितने अजीब होते हैं

रिश्ते कितने अजीब होते हैं
कुछ जन्म से तो कुछ किस्मत से नसीब होते है
कुछ बन जाते हैं राह चलते - चलते
अपने-अपने नसीब होते हैं।

रिश्ते महकाएं जिन्दगी फूलों सी
रिश्ते कांटों सी चुभन भी देते हैं
रंग भरते हैं जिन्दगी में रिश्ते
बदरंग भी जिन्दगी को बना देते हैं।

कुछ के जाने से जान जाती है
कुछ दिल के करीब होते हैं
रिश्ते कितने अजीज होते हैं
रिश्ते कितने अजीब होते हैं।

रिश्तों से मिलता नाम जिन्दगी को
रिश्ते बेनाम भी होते हैं
जीने का मकसद बने रिश्ते
जिन्दगी से बेदखल करें रिश्ते ।

खुशियों का पैगाम हैं ये रिश्ते
खून के आंसू भी रूलाते हैं
बदजुबानी से टूटते रिश्ते
स्वार्थ से झुलस जाते हैं।

बोझ बनते जा रहे रिश्ते
दम तोड़ रहे हैं रिश्ते
घुट रहा इंसानियत का दम
हैवानियत से भरे रिश्ते

लोग कितने अजीब होते हैं
जो समझ न सकें रिश्ते
रिश्ते हरदिल अजीज होते हैं
रिश्ते कितने अजीब होते हैं

(अभिलाषा चौहान)
चित्र गूगल से साभार 

टिप्पणियाँ

  1. वाह...
    बेहतरीन....
    लिखते रहिए
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. ब्लॉग फालोव्हर का गेजेट लगाइए

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद यशोदा जी ऐसे ही प्रेरित करती रहें।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 26 जून 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद आदरणीया यशोदा दी आभार मेरी रचना को सम्मिलित करने केलिए

      हटाएं
  5. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर रचना..रिश्तों की बुनावट महीन प्रेम के धागों से हो तो उम्रभर रिश्तों कके रंग आजीवन की फीके नहीं पड़ेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत - बहुत धन्यवाद आप सभी का, आप सभी के संदेश मेरे लिए प्रेरक वचनों का कार्य कर रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  8. रिश्तों के विभन्न रूपों को इन शब्दों के जाल का बाखूबी ताना बना बुना है इस रचना में ... रिश्ते हैं जो जीवन भी है ...

    जवाब देंहटाएं
  9. धन्यवाद आदरणीय वर्तमान में रिश्तों की बदलती परिभाषा बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देती है। 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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