" बतलाना मेरा स्थान ".......!
सारा आसमान तुम रख लेना....
मुझको दे देना बस कोना,
जिसमें जब चाहूं मैं उड लूं !
थोडी सी मैं मन की कर लूं !
छूना चाहूं मैं आकाश,
पर रह जाता है मन में काश.....।
पर मेरा है विश्वाश...
कभी तो होगी पूरी आस ।
नहीं चाहती पूरा दिल मैं...
बस चाहूं छोटा सा कोना,
जिसमें मेरा अश्क बसा हो
तुमको मेरी याद सदा हो,
न खो जाऊं कहीं भंवर में
साथी हूं जीवन के सफर में
दे देना इतना सम्मान,
रख लेना तुम मेरा मान..... ।
नहीं उपेक्षित बन जी सकती,
बतलाना मेरा स्थान !
सारा जहां तुम रख लेना...
मुझको दे देना बस कोना,
मैं अर्द्धांगिनी पहले तुम्हारी
बाद में आई जिम्मेदारियां सारी !
मत छीनना ये पहचान,
बतलाना मेरा स्थान ।
इसमें कहीं मैं खो न जाऊं,
ढूंढूं खुद को तो भी न पाऊं !
रख लेना बस इतना ध्यान,
बतलाना मेरा स्थान !!!
********अभिलाषा चौहान********
मुझको दे देना बस कोना,
जिसमें जब चाहूं मैं उड लूं !
थोडी सी मैं मन की कर लूं !
छूना चाहूं मैं आकाश,
पर रह जाता है मन में काश.....।
पर मेरा है विश्वाश...
कभी तो होगी पूरी आस ।
नहीं चाहती पूरा दिल मैं...
बस चाहूं छोटा सा कोना,
जिसमें मेरा अश्क बसा हो
तुमको मेरी याद सदा हो,
न खो जाऊं कहीं भंवर में
साथी हूं जीवन के सफर में
दे देना इतना सम्मान,
रख लेना तुम मेरा मान..... ।
नहीं उपेक्षित बन जी सकती,
बतलाना मेरा स्थान !
सारा जहां तुम रख लेना...
मुझको दे देना बस कोना,
मैं अर्द्धांगिनी पहले तुम्हारी
बाद में आई जिम्मेदारियां सारी !
मत छीनना ये पहचान,
बतलाना मेरा स्थान ।
इसमें कहीं मैं खो न जाऊं,
ढूंढूं खुद को तो भी न पाऊं !
रख लेना बस इतना ध्यान,
बतलाना मेरा स्थान !!!
********अभिलाषा चौहान********
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चित्र गूगल से साभार |
बेहतरीन कविता
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