सवैया छंद- कृष्ण प्रेम

1.भक्त की प्रार्थना माधव मोहन श्याम सदा तुम,भक्तन के बनके रखवारे। हे मुरलीधर प्राण बसे तुम,जीवन के बनके उजियारे। दास कहे मनकी सुनलो अब,मोह फँसे हम हैं दुखियारे। मीन बिना जल के तड़पे अब,घेर रहे तम बादल कारे। 2.कृष्ण सौंदर्य पट पीत सजे वनमाल गले,अधरों पर चंचल हास्य सखी। सिर मोर पखा लड़ियाँ लटके,मुरली कर में अभिराम दिखी। मन मोह लिया सुध भूल गई,नयना तकते अविराम सखी। यमुना तट धेनु चरावत वे,छवि नैनन से दिन-रात लखी। अभिलाषा चौहान