संकट लगते छुई-मुई

पीड़ा की गगरी भरकर के
जीवन की शुरुआत हुई
अंगारों पर लोट-लोट कर
संकट लगते छुई-मुई।

उद्वेलित हो कहती लहरें
रूकना अपना काम नहीं
तूफानों को करले वश में
नौका लगती पार वही।
सागर से चुनता जो मोती
प्यासी जिसकी ज्ञान कुईं।
अंगारों पर-------------।।

कर्म तेल की जलती बाती
दीपक का तब मान यहाँ
सुख-शैया के सपने देखे
उसकी अब पहचान कहाँ
उड़ता फिरता नीलगगन में
औंधे मुँह गिर पड़ा भुंई।
अंगारों पर --------------।।

पग के छाले जिसे हँसाए
आँसू जिसके मित्र बने।
ओढ़ दुशाला हिय घावों का
उसने चित्र विचित्र चुने
कष्ट हँसे जब पुष्प चुभोये
कंटक की बरसात हुई।
अंगारों पर लोट-लोट कर
संकट लगते छुई-मुई।।

अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक


टिप्पणियाँ

  1. नारी मन को अंकित करता मार्मिक सृजन आदरणीय दी
    .
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सादर नमस्कार,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार
    (03-07-2020) को
    "चाहे आक-अकौआ कह दो,चाहे नाम मदार धरो" (चर्चा अंक-3751)
    पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

    "मीना भारद्वाज"

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेरणादायक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर गीत . भाव लय शब्द सब कुछ ...

    जवाब देंहटाएं
  5. कर्म तेल की जलती बाती
    दीपक का तब मान यहाँ
    सुख-शैया के सपने देखे
    उसकी अब पहचान कहाँ
    उड़ता फिरता नीलगगन में
    औंधे मुँह गिर पड़ा भुंई।
    अंगारों पर --------------।।
    हृदयस्पर्शी सृजन सखी ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. यह पता चला है कि मैं अब तक जो भी देख रहा हूं वह इस पेपर में है, मैं इस ब्लॉग पर कई लेख पाकर बहुत खुश हूं, मैं ऊपर दिए गए आपके वाक्य में दिलचस्पी रखता हूं, मेरी राय में बहुत राय निर्माण, क्यों? क्योंकि आपने इसे भाषा में लिखा है, जिसे समझना आसान है .. आपका ब्लॉग बहुत बढ़िया है और यहाँ बहुत ही अच्छी जानकारी है!

    जवाब देंहटाएं
  8. ऐसा प्रेरक ब्लॉग!. I found something new on this website, some of my opinions agree with that, I just want to ask for one brief opinion or tips on the article or a few sentences above and I'm sure you are more skilled in making concise conclusions and concise for that.

    जवाब देंहटाएं
  9. इस कविता की प्रशंसा के लिए तो शब्द ही पर्याप्त नहीं हैं । इसे तो हृदयंगम करके ही इसके साथ न्याय किया जा सकता है ।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जिसे देख छाता उल्लास

सवैया छंद प्रवाह

देखूं आठों याम