हृदय समंदर होता उनका...

सीधा-सादा जीवन जिनका,
             और होते हैं उच्च विचार।
वे ही जन इस जगत का,
             करते हैं सदा परिष्कार।

करूणा के बादल बरसाते,
             स्नेह-सुधा लुटाते हैं।
दीन-दुखी की सेवा कर,
             तन-मन से हरषाते हैं।

हृदय - समंदर होता उनका,
             जिसमें सभी समाते हैं।
समदर्शी, समता भाव से
             सबको गले लगाते हैं।

वाणी से मधु-रस बरसाते,
             प्रेम के पुष्प खिलाते हैं
मानवता को धर्म मानकर,
              उस पथ पर चलते जाते हैं ।

घर कितना ही छोटा हो,
               हृदय बड़ा होता उनका।
परोपकार और जग-कल्याण से,
               सजा होता है घर उनका।

जीवन को जीवन मानकर,
               सब जीवों को अपनाते।
जीवन की रक्षा में रत,
                सर्वस्व अर्पित कर जाते।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित
हमकदम

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