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माउंट आबू यादगार पल

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अगले दिन हमने टैक्सी बुक कर ली थी।माउंट आबू के अन्य पर्यटन स्थलों पर हमारा पैदल पहुंचना नामुमकिन था।सबसे पहले हम शंकर मठ( shanker math )गए जो वहीं नक्की झील पर स्थित था.... पहाड़ियों के मध्य होने से हमारा ध्यान पहले इधर नहीं गया था। शिवलिंग के आकार का यह मंदिर हरियाली से आच्छादित और अत्यंत सुंदर और भव्य था।अंदर हमने विशाल शिवलिंग के दर्शन किए जो साढ़े नौ फिट ऊंचा था।बताया गया कि यह जितना जमीन के ऊपर है,उतना ही जमीन के अंदर है,यह पच्चीस फीट चौड़ा था....वजन भी सत्ताईस टन बताया गया। इसकी स्थापना महेशानंद गिरि महाराज ने की थी।यह स्थान अत्यंत मनोरम और भव्य था। Shanker math शंकर मठ से निकलकर हम अर्बुदा माता के दर्शन के लिए चल पड़े। अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित यह मंदिर शक्तिपीठ (shakti peeth)है।इसे अधर देवी( adhar devi )शक्तिपीठ भी कहते हैं या अर्बुदा देवी शक्तिपीठ कहते हैं।यह इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यहां देवी सती के अधर गिरे थे। मंदिर पहाड़ पर स्थित था और हमें वहां पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़नी थी।इन सीढ़ियों की संख्या चार सौ के लगभग है। आस-पास प्रसाद की दुकानें थीं।हमने प्रसाद ...

माउंट आबू यादगार पल

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Mount abu  राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है ।यह राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है।इस स्थान का अपना एक इतिहास है।यह पर्यटन की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही।धार्मिक दृष्टि से भी इसका अपना महत्त्व है  इतने सालों से हम सिर्फ माउंट आबू का नाम ही सुन रहे थे।इस बार सोचा कि घूम आते हैं। यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन Abu road  है। यहां से आप टैक्सी,बस के द्वारा माउंट आबू पहुंच सकते हैं। अरावली पर्वतमाला के अर्बुदा पर्वत पर यह शहर बसा है, इसलिए इसका नाम अबू पड़ा।यह छोटा-सा शहर अपनी खूबसूरती से पर्यटकों का मन मोह लेता है। nakki  झील इसका केंद्र बिंदु है।हम यहां अक्टूबर के पहले सप्ताह में पहुंचे थे।दो दिन हमें यहां रुकना था।मौसम भी हम पर मेहरबान था।घना कोहरा और सर्द हवाएं, रुक-रुक कर होती बारिश ने पहले तो हमें होटल के कमरे में बंद रहने को कहा,पर मौसम का लुत्फ तो उठाना था। hotel crystal inn  जो नक्की लेक पर स्थित था बस कोई पच्चीस-तीस सीढ़ियां उतरकर हम नक्की लेक पर जा पहुंचे, यहां ऐसा लग रहा था कि जैसे बादल भी झील का भ्रमण करने आए हों   Nakki Lake ...

यात्रा भव्यता से दिव्यता तक-८

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 गतांक से आगे  हम अयोध्या का भव्य स्वरूप निहारते हुए लता मंगेशकर चौक आ पहुंचे थे। यहां पर स्वर साम्राज्ञी की स्मृति में विशालकाय अनुपम वीणा स्थापित है।यह दुनिया की सबसे बड़ी वीणा है।यह स्थान नया घाट के पास स्थित है।इसके आस-पास सुंदर पार्क बनाए जा रहें हैं।यह स्थान पर्यटकों की पसंद बन गया है और यह राम पथ और धर्म पथ को भी जोड़ता है ।इसके पास ही हनुमान जी की सुंदर और भव्य प्रतिमा स्थापित है। जिसे देखकर ऐसा लगता है कि वे अयोध्या की रक्षा कर रहें हो।इसके आस-पास सड़कों के दोनों ओर नव निर्मित दुकाने,होटल इत्यादि स्थापित हैं। यहां सुमधुर संगीत यानि वीणा की झंकार बजती रहती है। अयोध्या की पहचान में अब यह स्थान भी शामिल हो गया है। लोगों के लिए यह सेल्फी पोइंट बन गया है। लता मंगेशकर चौक,अयोध्या  लता मंगेशकर चौक अयोध्या    लता मंगेशकर चौक से हम कार्ट से राम पथ स्थित अपने होटल आ गए थे।सरयू घाट का अद्भुत दृश्य और रामकथा का लेजर शो अब भी मन में दिव्यता का अनुभव करा रहा था।रात भर के विश्राम के बाद सुबह जल्दी ही आंख खुल गई। हमें ग्यारह बजे महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लि...

यात्रा भव्यता से दिव्यता तक-७

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गतांक से आगे राजा दशरथ महल के पास ही एक बहुत प्राचीन मंदिर है।यह भव्य और दिव्य मंदिर है।इसका नाम है" दरबार श्री लाल साहिब "यहां पर राम और कृष्ण की सुंदर प्रतिमाएं स्थापित है।शिल्प कला और स्थापत्य की दृष्टि से यह मंदिर अद्भुत है और यह राजा दशरथ महल का अभिन्न अंग है। यहां राजा दशरथ का पूरा परिवार त्रेता युग में रहा करता था।अब समय हो चला था । हमें राम लला के दर्शन के लिए निकलना था ।दशरथ महल से लगभग सौ मीटर की ही दूरी होगी।हमारा दर्शन समय हमने ऑनलाइन बुक कर लिया था। मंदिर परिक्रमा मार्ग में एक ओर प्राचीन मंदिर और दूसरी ओर नव-निर्मित दुकानें, रेस्टोरेंट इत्यादि थे।अब हम मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंच चुके थे।प्रवेश द्वार से पहले ही हमें अपने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लाॅकर में रखने पड़े। यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। आपको जांच प्रक्रिया से गुजर कर ही अंदर प्रवेश मिलता है।आपका परिचय पत्र साथ में होना चाहिए।करीब चार जगह सुरक्षा जांच के बाद हम मंदिर प्रांगण में थे।विशाल प्रांगण और भव्य निर्माण कला हमारा मन मोह रही थी। मंदिर का शिल्प अनूठा था लेकिन अभी हम मंदिर से दूर थे। हमें अपने जूते-च...

यात्रा भव्यता से दिव्यता तक-६

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 गतांक से आगे आज हमें अयोध्या के लिए निकलना था।सुबह हम जल्दी उठ गए थे।वापस जाने का बिल्कुल मन नहीं था।जितनी खुशी आने की थी,उतना ही दुख जाने का हो रहा था।गंगा की लहरों में,बाबा विश्वनाथ की काशी में मन खो गया था लेकिन आना सत्य है तो जाना भी।हम दश्वाश्वमेध घाट पर गए।मां गंगा को नमन किया,सर्व मंगल की कामना की और उन्हें दीप और पुष्प अर्पित किए।साढ़े नौ बजे वंदे भारत से अयोध्या जाना था।साढ़े आठ बजे होटल के अटेंडेंट ने हमें नंदी चौक पर आटो में बैठा दिया और हम निकल पड़े अपनी अगली यात्रा पर ।बाबा विश्वनाथ से विदा लेकर हम राम जन्मभूमि तीर्थ की ओर रामलला के दर्शन की प्रतीक्षा मन को आह्लादित कर रही थी।करीब साढ़े बारह बजे हम अयोध्या धाम जंक्शन पर उतरे....और फिर जो दृश्य सामने था ,उससे हमें समझ आया कि विकास की बातें सिर्फ बातें नहीं है। एयरपोर्ट जैसा बड़ा सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य रेलवे स्टेशन,ऐसा रेलवे स्टेशन ना तो दिल्ली का है और ना मुंबई का ,ना बेंगलुरु का और ना ही जयपुर का। अयोध्या धाम जंक्शन  स्टेशन से हमारा होटल तीन किलोमीटर दूर था।हवा में रामभक्ति की लहर विद्यमान थी। होटेल रा...

यात्रा भव्यता से दिव्यता तक-५

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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित भारत माता मंदिर अपने आप में अनूठा है। यहां आपको अखंड भारत का त्रि-आयामी मानचित्र देखने को मिलता है।इसका निर्माण डाक्टर शिवप्रसाद गुप्त ने सन् 1936 में करवाया था। राजस्थान के संगमरमर से इस मानचित्र को इतनी बारीकी से उकेरा गया है कि मन नत मस्तक हो जाता है उन शिल्पकारों के प्रति जिन्होंने इस मानचित्र में हर बात का ध्यान रखा है। हिमालय की विशाल पर्वत श्रृंखला हों या सागर की गहराई, इसमें पर्वतों की ऊंचाई समुद्र तल से इसकी गहराई से वैसे ही मापी गई है जैसी वस्तुत है ।ऐसा हमें गाइड ने बताया। वहां नीचे उतरकर जब इस मानचित्र को देखते हैं तो एवरेस्ट की ऊंचाई अलग से ही दिखाई दे जाती है। #भारत माता मंदिर  इस अद्भुत मंदिर की भव्यता को देख हम भारतीय उप महाद्वीप की भव्यता में खो गए थे।कितना विशाल था हमारा भारत जो बाद में खंडों में विभक्त हो गया।मन गर्व से भर उठा था। #सारनाथ  इसके बाद हम सारनाथ पहुंच गए थे। भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था। यहां अशोक के द्वारा स्थापित धम्म स्तूप भी है जिसे अशोक स्तंभ के रूप में जाना जाता है। आक्रांताओं ने...